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Friday, May 11, 2018

Faasle Aise Bhi Honge - [9]

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था।

वो कि ख़ुशबू की तरह फैला था मेरे चार सू
मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था।

रात भर पिछली ही आहट कान में आती रही
झाँक कर देखा गली में कोई भी आया न था।

ख़ुद चढ़ा रखे थे तन पर अजनबीयत के गिलाफ़
वर्ना कब एक दूसरे को हमने पहचाना न था।

याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी’अदीम’
भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था।
Performed By: Ustad Ghulam Ali
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Ae Husn Be Parwah - [8]

Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun x2
phoolon mein bhi shaukhi toh hai x2
kisko magar tujhsa kahun...
Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun

Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun x2
phoolon mein bhi shaukhi toh hai x2
kisko magar tujhsa kahun...
Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun

Gesu ude, mehki faza
jaadu kare, aankhein teri

Gesu ude... gesu ude... mehki faza
jaadu kare, aankhein teri
Soya hua manzar kahun, ya jaagta sapna kahun

Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun x2
phoolon mein bhi shaukhi toh hai x2
kisko magar tujhsa kahun...
Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun

Chanda ki tu hai chandani...

Chanda ki tu hai chandani
Lehro ki tu hai, raagni
Jaan-e-tammana mein tujhe, kya kya kahun kya naa kahun

Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun x2
phoolon mein bhi shaukhi toh hai x2
kisko magar tujhsa kahun...
Ae husn-e-beparwah tujhe, shabnam kahun, shola kahun

Performed By: Ustad Ghulam Ali
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हमको किसके गम ने मारा - [7]

हमको किसके गम ने मारा, ये कहानी फिर सही
किसने तोड़ा दिल हमारा, ये कहानी फिर सही

दिल के लूटने का सबब पूछो न सबके सामने
नाम आएगा तुम्हारा, ये कहानी फिर सही
हमको किसके गम ने...

नफरतों के तीर खा कर, दोस्तों के शहर में
हमने किस किस को पुकारा, ये कहानी फिर सही
हमको किसके गम ने...

क्या बताएं प्यार की बाजी, वफ़ा की राह में
कौन जीता कौन हारा, ये कहानी फिर सही
हमको किसके गम ने...
Performed By: Ustad Ghulam Ali
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हंगामा है क्यों बरपा - [6]

Mai Teri Mast Nigahi Ka Bharam Rakh Lungaa,
Hosh Ayaa Bhi To Kah Dunga Muze Hosh Nahi
Ye Alag Baat Hai Saki Ke Muze Hosh Nahi
Varna Mai Khucch Bhi Hu Ahsaan Faramosh Nahi
अंदाज अपने देखते हैं आइने में वो अंदाज अपने देखते हैं आइने में वो
और ये भी देखते हैं के कोई देखता ना हो
हंगामा है क्यों बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है

ना तज़ुर्बाकारी से, वाइज़ की ये बातें है
इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है
हंगामा है क्यों बरपा...

उस मै से नहीं मतलब, दिल जिससे हो बेगाना
मक़सूद है उस मै से, दिल ही में जो खींचती है
हंगामा है क्यों बरपा...

वा दिल में की सदमे दो या, की में के सब सह लो
उनका भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है
हंगामा है क्यों बरपा...

हर ज़र्रा चमकता है, अनवर-ए-इलाही से
हर सांस ये कहती है, हम है तो खुदा भी है
हंगामा है क्यों बरपा...

सूरज में लगे धब्बा, फितरत के करिश्मे हैं
बुत हमको कहे काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है
हंगामा है क्यों बरपा...
Performed By: Ustad Ghulam Ali
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अपनी धुन में रहता हूँ - [5]

अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ

ओ पिछली रुत के साथी
अब के बरस मैं तनहा हूँ
अपनी धुन में...

तेरी गली में सारा दिन
दुख के कंकर चुनता हूँ
अपनी धुन में...

मेरा दीया जलाये कौन
मैं तेरा खाली कमरा हूँ
अपनी धुन में...

अपनी लहर है अपना रोग
दरिया हूँ और प्यासा हूँ
अपनी धुन में...

आती रुत मुझे रोयेगी
जाती रुत का झोँका हूँ
अपनी धुन में... 
                   
Performed By: Ustad Ghulam Ali
Movie:रंग तरंग(1999)
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दिल में इक लहर सी उठी है अभी - [4]

दिल में इक लहर सी उठी है अभी-2
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
दिल में इक लहर सी...

शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में-2
कोई दीवार सी गिरी है अभी-2
कोई ताज़ा...
दिल में इक लहर सी...

कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी-2
और ये चोट भी नयी है अभी-2
कोई ताज़ा...
दिल में इक लहर सी...

याद के बे-निशाँ जज़ीरों से-2
तेरी आवाज़ आ रही है अभी-2
कोई ताज़ा...
दिल में इक लहर सी...

शहर की बेचिराग़ गलियों में-3
ज़िन्दगी तुझको ढूँढती है अभी-2
कोई ताज़ा...
दिल में इक लहर सी...

आगे (गाने में नहीं है):
भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
दिल में इक लहर सी...

तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्या
हम-सुख़न तेरी ख़ामोशी है अभी
दिल में इक लहर सी...

सो गये लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभी
दिल में इक लहर सी...

तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर में रात जागती है अभी
दिल में इक लहर सी...

वक़्त अच्छा भी आयेगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िन्दगी पड़ी है अभी
दिल में इक लहर सी...  
                   
Performed By: Ustad Ghulam Ali
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ये दिल.. ये पागल दिल मेरा - [3]

ये दिल ये पागल दिल मेरा-2
क्यों बुझ गया आवारगी
ये दिल... 
क्यों बुझ...
इस दश्त में इक शहर था-2
वो क्या हुआ
आवारगी !
ये दिल ये पागल...

कल शब मुझे बेशक्ल की-2
आवाज़ ने चौंका दिया
मैंने कहा तू कौन है-2
उसने कहा आवारगी
इस दश्त में इक शहर था-2
वो क्या हुआ
आवारगी !
ये दिल ये पागल...

ये दर्द की तन्हाईयाँ-2
ये दश्त का वीरान सफर
हम लोग तो उकता गए-2
अपनी सुना आवारगी
इस दश्त में इक शहर था-2
वो क्या हुआ
आवारगी !
ये दिल ये पागल...

इक अजनबी झोंके ने जब, पूछा मेरे गम का सबब-2
सहरा की भीगी रेत पर-2
मैंने लिखा आवारगी
इस दश्त में इक शहर था-2
वो क्या हुआ
आवारगी !
ये दिल ये पागल...

कल रात तनहा चाँद को, देखा था मैंने ख्वाब में-2
मोहसिन मुझऐ रास आएगी-2
शायद सदा आवारगी
ये दिल ये पागल... 
क्यों बुझ गया आवारगी
इस दश्त में इक शहर था-2
वो क्या हुआ
आवारगी  
                   
Performed By: Ustad Ghulam Ali
Movie: माटी मांगे खून(1984)
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चुपके चुपके रात दिन - [2]

हूँ आ आ हुम्म्म हूँ हूँ हूँ…

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है-2
हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है

तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा-2
और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

चोरी-चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह-2
मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

खैंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फातन-2
और दुपट्टे से तेरा वो मुंह छुपाना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज राह-ऐ-लिहाज़-2
हाल-ऐ-दिल बातों ही बातों में जताना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

आ गया गर वस्ल की शब् भी कहीं ज़िक्र-ए-फिराक-2
वो तेरा रो-रो के भी मुझको रुलाना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

दोपहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए-2
वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

गैर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़-2
वो तेरा चोरी छिपे रातों को आना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

बा हजारां इस्तिराब-ओ-सद-हजारां इश्तियाक-2
तुझसे वो पहले पहल दिल का लगाना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

बेरुखी के साथ सुनना दर्द-ऐ-दिल की दास्तां-2
वो कलाई में तेरा कंगन घुमाना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

वक्त-ए-रुखसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए-2
वो तेरे सूखे लबों का थर-थराना याद है
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...

बावजूद-ए-इद्दा-ए-इत्तक़ा 'हसरत' मुझे-2
आज तक अहद-ए-हवास का ये फ़साना याद है  
हम को...
चुपके चुपके रात दिन...  
                   
Performed By: Ustad Ghulam Ali
Movie: निकाह(1982)
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ये बातें.. झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं - [1]

ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं।

तुम इन्शा जी का नाम न लो, क्या इन्शा जी सौदाई हैं?

हैं लाखों रोग ज़माने में क्यों इश्क है रुसवा बेचारा
हैं और भी वज़हें वहशत की इन्शा को रखतीं दुखियारा।
हाँ, बेकल-बेकल रहता है, हो पीत में जिसमें जी हारा
पर शाम से लेकर सुबहो तलक यूँ कौन फिरे है आवारा।
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं।
तुम इन्शा जी का नाम न लो, क्या इन्शा जी सौदाई हैं?

ये बात अजीब सुनते हो, वो दुनिया से बे आस हुए
इक नाम सुना और ग़श खाया, इक ज़िक्र पे आप उदास हुए
वो इल्म में अफलातून सुने, वो शेर में तुलसीदास हुए
वो तीस बरस के होते हैं, वो बी.ए. एम.ए. पास हुए
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं।
तुम इन्शा जी का नाम न लो, क्या इन्शा जी सौदाई हैं?

गर इश्क किया है तब क्या है, क्यों शाद नहीं आबाद नहीं
जो जान लिए बिन टल ना सके ये ऐसी भी उफ़ताद नहीं।
ये बात तो तुम भी मानोगे वो कैस नहीं फ़रहाद नहीं
क्या हिज्र का दारू मुश्किल है, क्या वस्ल के नुस्खे याद नहीं।
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं।
तुम इन्शा जी का नाम न लो, क्या इन्शा जी सौदाई हैं?

वो लड़की अच्छीलड़की है, तुम नाम न लो हम जान गए
वो जिस के लंबे गेसू हैं, पहचान गए पहचान गए
हाँ, साथ हमारे इंशा भी उस घर में थे मेहमान गए
पर उससे तो कुछ बात न की, अंजान रहे अंजान गए
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं।
तुम इन्शा जी का नाम न लो, क्या इन्शा जी सौदाई हैं?

जो हमसे कहो हम करते हैं, क्या इन्शा को समझाना है।
उस लड़की से भी कह लेंगे गो अब कुछ और ज़माना है।
या छोड़ें या तक़मील करें ये इश्क है या अफ़साना है।
ये कैसा गोरखधंधा है, ये कैसा तानाबाना है।
ये बातें कैसी बातें हैं, जो लोगों ने फैलाई हैं?
तुम इन्शा जी का नाम न लो, क्या इन्शा जी सौदाई हैं                            
-Song By - Ustad Ghulam Ali
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