दिल में इक लहर सी उठी है अभी-2 कोई ताज़ा हवा चली है अभी दिल में इक लहर सी... शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में-2 कोई दीवार सी गिरी है अभी-2 कोई ताज़ा... दिल में इक लहर सी... कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी-2 और ये चोट भी नयी है अभी-2 कोई ताज़ा... दिल में इक लहर सी... याद के बे-निशाँ जज़ीरों से-2 तेरी आवाज़ आ रही है अभी-2 कोई ताज़ा... दिल में इक लहर सी... शहर की बेचिराग़ गलियों में-3 ज़िन्दगी तुझको ढूँढती है अभी-2 कोई ताज़ा... दिल में इक लहर सी... आगे (गाने में नहीं है): भरी दुनिया में जी नहीं लगता जाने किस चीज़ की कमी है अभी दिल में इक लहर सी... तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्या हम-सुख़न तेरी ख़ामोशी है अभी दिल में इक लहर सी... सो गये लोग उस हवेली के एक खिड़की मगर खुली है अभी दिल में इक लहर सी... तुम तो यारो अभी से उठ बैठे शहर में रात जागती है अभी दिल में इक लहर सी... वक़्त अच्छा भी आयेगा 'नासिर' ग़म न कर ज़िन्दगी पड़ी है अभी दिल में इक लहर सी... Performed By: Ustad Ghulam Ali
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