अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिछली रुत के साथी
अब के बरस मैं तनहा हूँ
अपनी धुन में...
तेरी गली में सारा दिन
दुख के कंकर चुनता हूँ
अपनी धुन में...
मेरा दीया जलाये कौन
मैं तेरा खाली कमरा हूँ
अपनी धुन में...
अपनी लहर है अपना रोग
दरिया हूँ और प्यासा हूँ
अपनी धुन में...
आती रुत मुझे रोयेगी
जाती रुत का झोँका हूँ
अपनी धुन में...
Performed By: Ustad Ghulam Ali
Movie:रंग तरंग(1999)
click 4 visual
No comments:
Post a Comment